भारतीय सेना ने बिहार के गया के गहलौर में माउंटेन मैन स्व. दशरथ मांझी के महान प्रयासों को माना है और इसे मान्यता दी है. भारतीय सेवा के हवाले से बताया गया है, कि राष्ट्र निर्माण और सामुदायिक कल्याण के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को माउंटेन मैन दशरथ मांझी ने प्रदर्शित किया
. इसे लेकर भारतीय सेना ने गहलौर गांव के मूल निवासियों की सेवा में स्व. दशरथ मांझी द्वारा किए गए महान प्रयासों को मान्यता दी है और उनके बेटे भागीरथ मांझी को 5 लाख का चेक प्रदान किया. यह सहायता सेवा के सतत विकास को बढ़ावा देने और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए समर्पित व्यक्तियों को सशक्त बनाने के लिए चल रहे प्रयासों के तहत किए जा रहे प्रयासों का एक हिस्सा है
. इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेन गुप्ता,पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम वाईएसएम जीओसी- इन -सी सेंट्रल कमांड ने कहा, कि भारतीय सेना हमेशा लोगों के साथ खड़ी रही है. भारतीय सेना न्यास केवल सुरक्षा चुनौतियां के समय, बल्कि सामाजिक और विकासात्मक मुद्दों को संबोधित करने में भी साथ है.
बता दे कि दशरथ मांझी बिहार के गया के गहलौर घाटी के निवासी थे. स्व. दशरथ मांझी को पर्वत पुरुष के नाम से जाना जाता है. इन्होंने गहलौर घाटी के पहाड़ का सीना चीरकर सुगम रास्ता बना दिया था. छेनी हथौङी से अकेले 22 साल तक अथक परिश्रम कर पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया था. आज यह रास्ता लाखों लोगों के लिए सुविधा का माध्यम बन गया है. पत्नी फाल्गुनी के उबङ खाबङ रास्ते से गिरने और फिर सड़क नहीं होने से समय से इलाज नहीं मिल पाने पर मौत हो जाने से दुखी हुए बाबा दशरथ मांझी ने गहलौर पहाड़ का सीना चीरकर रास्ता बना दिया था. आज यह रास्ता लाखों लोगों की सुविधा का माध्यम है. बाबा दशरथ मांझी के अमर प्रेम कहानी की यह एक मिसाल भी है.